दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बिल गेटस से किसी ने पूछा- “क्या इस धरती पर आप से भी अधिक अमीर कोई है?” बिल गेट्स ने जवाब दिया हां एक व्यक्ति इस दुनिया में मुझसे भी अमीर है। कौन!!!
बिल गेटस ने बताया-जब मेरी प्रसिद्धि के दिन नहीं थे, एक सुबह न्यूयोर्क एयरपोर्ट पर मैंने एक अखबार लेना चाहा पर खुले पैसे नहीं थे, लड़के ने भाप लिया और अखबार देते हुए कहा-यह मैं आपको मुफ्त में देता हूं… बात आई-गई हो गई… संयोगवश कोई तीन माह बाद उसी एयरपोर्ट पर मैं फिर उतरा और अखबार के लिए फिर मेरे पास सिक्के नहीं थे। उस लड़के ने मुझे फिर से अखबार दिया। कोई १९ साल बाद और कारोबार स्थापित हो जाने के बाद एक दिन मुझे उस लड़के की याद आई। कोई डेढ़ महीने की खोजबीन के बाद आखिरकार वह मिल गया। मैंने पूछा- क्या तुम मुझे पहचानते हो? लड़का हां आप मि. बिल गेटस हैं। गेटस-याद है, कभी तुमने मुझे फ्री में अखबार दिए थे ? लड़का- जी हां, बिल्कुल… ऐसा दो बार हुआ था… गेटस- मैं उनकी कीमत अदा करना चाहता हूं… बताओ, मैं तुम्हारी हर जरूरत पूरी करूंगा… लड़का-सर, लेकिन फिर भी आप मेरे काम की कीमत अदा नहीं कर पाएंगे… गेट्स- क्यूं…!!! लड़का-मैंने जब आपकी मदद की थी, मैं एक गरीब लड़का था, जो अखबार बेचता था… आज आप मेरी मदद तब कर रहे है,जब आप दुनियां के सबसे अमीर व्यक्ति हैं… फिर, आज आप मेरी मदद की बराबरी कैसे करेंगे…!!!
बिल गेटस एक लम्हा स्तब्ध रह गए, उनकी नजर में, वह व्यक्ति दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति से भी अमीर था, क्योंकि किसी की मदद करने के लिए, उसने अपने अमीर होने का इंतजार नहीं किया था।
हम किसी के काम आने के लिए अवसर या पुकारे जाने का रास्ता देखते हैं। या हम उस दिन का इंतजार करते रहते हैं कि जब हम बहुत अमीर हो जाएंगे और किसी के काम आएंगे। यह सोचते-देखते ही जीवन की शाम हो जाती है। बीमार धीरुभाई अंबानी का अंतिम समय चल रहा था, पत्रकारों ने पूछा आप शून्य से शिखर तक आए, किसी बात का अफसोस तो नहीं… उन्होंने जवाब दिया, हां मैं जीवन भर कमाने में लगा रहा, बांटना छूट गया।
हमारे रिश्तेदारों, दोस्त, कर्मचारियों में अनेक हैं जो स्वाभिमान के चलते लाख तकलीफ उठा लेते हैं, कभी जिक्र नहीं करते। हम उनके पुकारे जाने का रास्ता देखते रहते हैं। न वे मांग पाते हैं, ना हम आगे बढ़ कर देते हैं। प्रभु से यही प्रार्थना है कि हमें बिल गेटस जितनी दौलत ना दे पर उस पेपर बेचने वाले लड़के के दिल की अमीरी जरूर दे।
सदैव प्रसन्न रहिये
जो प्राप्त है, पर्याप्त है
લક્ષ્મીકાંત પોકાર
सदैव प्रसन्न रहिये
जो प्राप्त है, पर्याप्त है